Natwarlal Biography in Hindi – 7 Shocking Secrets of India’s Greatest Conman”
“Natwarlal की कहानी भारत के इतिहास की सबसे बड़ी ठगी की कहानियों में से एक है। Natwarlal ने ताजमहल, लालकिला और संसद भवन जैसी ऐतिहासिक इमारतों तक बेचने का दावा किया और अपनी चालाकी से सबको चौंका दिया।”
“Natwarlal Biography in Hindi – 7 Shocking Secrets of India’s Greatest Conman”
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प्रारंभिक जीवन
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ठगी की दुनिया में प्रवेश
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नटवरलाल के प्रमुख ठगी के कारनामे
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जेल से भागने की कहानी
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नटवरलाल की चालाकी और शातिर दिमाग
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रहस्यपूर्ण जीवन और मृत्यु
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नटवरलाल और भारतीय सिनेमा
- निष्कर्ष:
प्रारंभिक जीवन
Natwarlal, जिनका असली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था, भारतीय इतिहास के सबसे कुख्यात ठगों में से एक माने जाते हैं। उनका जन्म 1912 में बिहार के सीवान जिले के बंगरा गाँव में हुआ था। उनके पिता रघुनाथ श्रीवास्तव स्टेशन मास्टर थे और घर का माहौल साधारण था।
मिथिलेश का बचपन बहुत साधारण रहा। उन्हें पढ़ाई में खास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन शतरंज और फुटबॉल में उनकी रुचि गहरी थी। वे औसत छात्र थे और शिक्षा के क्षेत्र में कभी भी चमक नहीं पाए।
उनकी ठगी की कहानी का आरंभ तब हुआ जब उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा में असफलता प्राप्त की। उनके पिता इस असफलता से बेहद नाराज हुए और मिथिलेश को सजा दी। इस घटना ने उनके जीवन का रुख बदल दिया। उन्होंने घर छोड़ने का निर्णय लिया और केवल पांच रुपये लेकर कलकत्ता (अब कोलकाता) की ओर चल पड़े।
ठगी की दुनिया में प्रवेश
कलकत्ता पहुँचने पर मिथिलेश ने जीवन को संवारने के लिए विभिन्न छोटे-मोटे काम किए। उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और मेहनत से जीवन यापन किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात सेठ केशवराम से हुई, जो उन्हें अपने बेटे को पढ़ाने का काम दे दिया।
मिथिलेश ने इस नौकरी में खुद को साबित किया और व्यापारियों की दुनिया को करीब से समझा। लेकिन जब उन्होंने सेठ से अपनी पढ़ाई के लिए पैसों की मांग की, और सेठ ने इनकार कर दिया, तो मिथिलेश ने ठगी का रास्ता अपनाया। उन्होंने सेठ के साथ धोखाधड़ी की और 4.5 लाख रुपये ठग लिए। यही पहला मौका था जब उन्हें अपनी ठगी की क्षमता का अहसास हुआ।
नटवरलाल के प्रमुख ठगी के कारनामे
Natwarlal ने ठगी की दुनिया में कई ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित इमारतों को बेचने का दावा किया। उनकी ठगी इतनी बेशर्मी और शातिरपन से भरी थी कि यह सुनकर आम लोग हैरान रह जाते हैं। उन्होंने निम्नलिखित प्रतिष्ठानों को कई बार बेचा:
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ताजमहल – 3 बार
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लाल किला – 2 बार
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राष्ट्रपति भवन – 1 बार
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संसद भवन – 1 बार
Natwarlal ने सरकारी अधिकारी का भेष धारण कर कई महत्वपूर्ण इमारतों को विदेशी खरीदारों को बेचने का दावा किया। उन्होंने कभी-कभी राष्ट्रपति के नकली हस्ताक्षर का इस्तेमाल करके संसद भवन तक बेच डाला। उनकी ठगी के किस्से इतने बड़े और अनोखे थे कि उन्हें भारतीय ठगी का जादूगर कहा जाने लगा। https://www.amarujala.com/business/business-diary/harshad-mehta-scam-1992-know-how-india-stock-broker-harshad-mehta-gamed-the-system
जेल से भागने की कहानी
Natwarlal का जीवन जेल और भागने की घटनाओं से भरा रहा। उन्हें कुल 9 बार गिरफ्तार किया गया, लेकिन हर बार वह भागने में सफल रहे। उन्हें 14 मामलों में दोषी ठहराया गया और कुल 113 साल की सजा मिली, लेकिन उन्होंने केवल लगभग 20 साल ही जेल में बिताए।
उनकी सबसे रोमांचक भागने की घटना 1996 में हुई, जब वह 84 वर्ष के थे और व्हीलचेयर पर थे। कानपुर जेल से इलाज के लिए दिल्ली ले जाते समय, उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पुलिस को चकमा दिया और फरार हो गए। इसके बाद उन्हें कभी पकड़ नहीं पाया गया।
नटवरलाल की चालाकी और शातिर दिमाग
Natwarlal केवल ठग नहीं थे, बल्कि अत्यंत चालाक और शातिर व्यक्ति थे। उनके पास लोगों को धोखा देने की अद्भुत क्षमता थी। उनकी ठगी का तरीका इतना बुद्धिमान और सूक्ष्म था कि कोई भी आसानी से उनका शिकार बन जाता।
वे कभी भी सीधे चोरी नहीं करते थे। उनकी ठगी हमेशा विश्वसनीय और कानूनी दिखने वाली योजनाओं के माध्यम से होती थी। यही वजह है कि उनका नाम आज भी भारत के इतिहास में “जालसाजी और धोखाधड़ी का प्रतीक” माना जाता है।
रहस्यपूर्ण जीवन और मृत्यु
नटवरलाल को अंतिम बार 24 जून 1996 को देखा गया। इसके बाद वह पूरी तरह गायब हो गए। उनके वकील ने 2009 में अदालत में अर्जी दी कि Natwarlal की मृत्यु 25 जुलाई 2009 को हो चुकी है। उनके छोटे भाई का दावा था कि उनका अंतिम संस्कार रांची में हुआ।
लेकिन आज तक उनकी मृत्यु के कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। Natwarlal का जीवन रहस्य, रोमांच और जालसाजी से भरा रहा। उनकी गिरफ्तारी और जेल से भागने की कहानियाँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
नटवरलाल और भारतीय सिनेमा
नटवरलाल पर आधारित फिल्में भी बनी हैं। सबसे प्रसिद्ध फिल्म है “Mr. Natwarlal”, जिसमें अमिताभ बच्चन ने नटवरलाल का किरदार निभाया। इस फिल्म ने नटवरलाल के शातिर और चालाक व्यक्तित्व को बड़े पर्दे पर पेश किया।
उनकी कहानी भारतीय समाज में ठगी और धोखाधड़ी के मामलों में चेतावनी के रूप में प्रस्तुत की जाती है। https://mrblogs.online/%E0%A4%A6%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A4%A5-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9D%E0%A5%80-mountain-man/
नटवरलाल से सीख
नटवरलाल का जीवन हमें यह सिखाता है कि इंसान अपनी चालाकी और बुद्धिमत्ता से बड़े-बड़े काम कर सकता है। हालांकि उनके काम नैतिक और कानूनी रूप से गलत थे, लेकिन उनकी योजना बनाने की कला और रणनीति बेहद प्रेरणादायक है।
आज भी नटवरलाल की कहानी हमें सावधानी, चतुराई और जीवन की अनिश्चितता की याद दिलाती है।
निष्कर्ष:
नटवरलाल का जीवन रहस्य, रोमांच और शातिर ठगी से भरा हुआ था। उनका नाम भारतीय इतिहास के सबसे चर्चित ठगों में गिना जाता है। उनकी गिरफ्तारी और जेल से भागने की कहानियाँ, उनके द्वारा किए गए ठगी के असंख्य किस्से और उनकी मौत का रहस्य आज भी लोगों को आकर्षित करता है। नटवरलाल केवल एक ठग नहीं थे, बल्कि उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और चालाकी से इतिहास में अपनी अलग पहचान बनाई।