7 प्रेरणादायक तथ्य: दशरथ मांझी द्वार और माउंटेन मैन की अविश्वसनीय कहानी
प्रस्तावना
भारत की धरती पर हमेशा से ऐसे लोग जन्म लेते रहे हैं जो अपने साहस और दृढ़ निश्चय से इतिहास रचते हैं। उन्हीं में से एक नाम है दशरथ मांझी, जिन्हें पूरी दुनिया “माउंटेन मैन” के नाम से जानती है। बिहार के गया ज़िले के गहलौर गाँव का यह साधारण किसान अपने असाधारण काम की वजह से आज लाखों लोगों के दिलों में बसता है। उन्होंने अकेले अपने दम पर पहाड़ को काटकर रास्ता बनाया, जिसे लोग “दशरथ मांझी द्वार” कहते हैं।
प्रारंभिक जीवन
दशरथ मांझी का जन्म 14 जनवरी 1934 को बिहार के गया ज़िले के गहलौर गाँव में एक गरीब परिवार में हुआ था। वे मुसहर जाति से आते थे, जो समाज के सबसे पिछड़े और दलित वर्गों में गिनी जाती है। गरीबी के कारण उन्हें बचपन से ही मेहनत-मज़दूरी करनी पड़ी। पढ़ाई का मौका लगभग नहीं मिला, लेकिन जीवन से लड़ने का हौसला उनमें बचपन से ही था।
प्रेरणा की कहानी
दशरथ मांझी की पत्नी फाल्गुनी देवी बीमार पड़ गईं। गाँव से अस्पताल जाने के लिए पहाड़ चढ़कर और लंबा चक्कर लगाकर लगभग 55 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। समय पर इलाज न मिलने के कारण उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई।
यह घटना दशरथ मांझी के दिल को चीर गई। उन्होंने सोचा – “अगर पहाड़ रास्ते में बाधा है, तो इसे हटाना ही होगा।”
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फाल्गुनी देवी: वह स्त्री जिसकी वजह से बना “दशरथ मांझी द्वार”
दशरथ मांझी और फाल्गुनी देवी का रिश्ता प्रेम और विश्वास से भरा हुआ था। गरीबी, समाज की बंदिशें और कठिन हालात के बावजूद दोनों एक-दूसरे के लिए सहारा बने रहे। मांझी खेतों में मजदूरी करते तो फाल्गुनी घर संभालतीं और हर हाल में उनका साथ देतीं।
गहलौर गाँव पहाड़ों से घिरा हुआ था। गाँव से नज़दीकी अस्पताल पहुँचने के लिए पहाड़ चढ़कर और लंबा चक्कर लगाकर लगभग 55 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी।
एक दिन फाल्गुनी देवी अचानक बीमार पड़ गईं। दशरथ मांझी उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाना चाहते थे, लेकिन सीधा रास्ता न होने के कारण देर हो गई। समय पर इलाज न मिलने से फाल्गुनी देवी की मृत्यु हो गई।
पत्नी की मौत %A